दोस्तों भाभी, भैया और मैं पटना में रहते थे। मैं उस समय पढ़ता था। भैया अपने बिजनेस में मस्त रहते थे और खूब कमाते थे। मुझे तब जवानी चढ़ी ही थी, मुझ तो सारी दुनिया ही रंगीली नजर आती थी। Read Bhabhi ki chudai on hotindiansexstories.com
जरा जरा सी बात पर लण्ड खड़ा हो जाता था।
छुप छुप कर इन्टरनेट पर नंगी तस्वीरे देखता था और अश्लील पुस्तकें पढ़ कर मुठ मारता था।
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घर में बस भाभी ही थी, जिन्हें आजकल मैं बड़ी वासना भरी नजर से देखता था। उनके शरीर को अपनी गंदी नजर से निहारता था, भले ही वो मेरी भाभी क्यो ना हो, साली लगती तो एक नम्बर की चुद्दक्कड़ थी। क्या मस्त जवान थी, बड़ी-बड़ी हिलती हुई चूंचियां !
मुझे लगता था जैसे मेरे लिये ही हिल रही हों। उसके मटकते हुये सुन्दर कसे हुये गोल चूतड़ मेरा लण्ड एक पल में खड़ा कर देते थे।
जी हां … ये सब मन की बातें हैं … वैसे दिल से मैं बहुत बडा गाण्डू हूँ … भाभी सामने हों तो मेरी नजरें भी नहीं उठती हैं।
बस उन्हें देख कर चूतियों की तरह लण्ड पकड़ कर मुठ मार लेता था। ना … चूतिया तो नहीं पर शायद इसे शर्म या बड़ों की इज्जत करना भी कहते हों। एक रात को मैं इन्टर्नेट पर लड़कियों की नंगी तस्वीरें देख कर लेटा हुआ लण्ड को दबा रहा था।
मुझे इसी में आनन्द आ रहा था। मुझे अचानक लगा कि दरवाजे से कोई झांक रहा है… मैं तुरन्त उठ बैठा, मैंने चैन की सांस ली।
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भाभी थी… “भैया, चाय पियेगा क्या…” भाभी ने दरवाजे से ही पूछा।
“अभी रात को दस बजे…?”
“तेरे भैया के लिये बना रही हूँ … अभी आये हैं ना…”
“अच्छा बना दो … !”
भाभी मुस्कराई और चली गई। मुझे अब शक हो गया कि कहीं भाभी ने देख तो नहीं लिया।
फिर सोचा कि मुस्करा कर गई है तो फिर ठीक है… कोई सीरियस बात नहीं है। कुछ ही देर में भाभी चाय लेकर आ गई और सामने बैठ गईं।
“इन्टरनेट देख लिया… मजा आया…?” भाभी ने कुरेदा।
मैं उछल पड़ा, तो भाभी को सब पता है, तो फिर मुठ मारने भी पता होगा।
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“हां अ… अह्ह्ह हां भाभी, पर आप…?”
“बस चुप हो जा… चाय पी…”
मैं बेचैन सा हो गया था कि अब क्या करूँ । सच पूछो तो मेरी गाण्ड फ़टने लगी थी, कहीं भैया को ना कह दें।
“भाभी, भैया को ना कहना कुछ भी…!”
“क्या नहीं कहना… वो बिस्तर वाली बात… चल चाय तो खत्म कर, तेरे भैया मेरी राह देख रहे होंगे !”
खिलखिला कर हंसते हुए उन्होंने अपने हाथ उठा अंगड़ाई ली तो मेरे दिल में कई तीर एक साथ चल गये।
“साला डरपोक… बुद्धू … ! ” उसने मुझे ताना मारा… तो मैं और उलझ गया।
वो चाय का प्याला ले कर चली गई।
दरवाजा बंद करते हुये बोली- अब फिर इन्टर्नेट चालू कर लो… गुड नाईट…!”
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मेरे चेहरे पर पसीना छलक आया… यह तो पक्का है कि भाभी कुछ जानती हैं। दूसरे दिन मैं दिन को कॉलेज से आया और खाना खा कर बिस्तर पर लेट गया।
आज भाभी के तेवर ठीक नहीं लग रहे थे। बिना ब्रा का ब्लाऊज, शायद पैंटी भी नहीं पहनी थी। कपड़े भी अस्त-व्यस्त से पहन रखे थे। खाना परोसते समय उनके झूलते हुये स्तन कयामत ढा रहे थे। पेटीकोट से भी उनके अन्दर के चूतड़ और दूसरे अंग झलक रहे थे।
यही सोच सोच कर मेरा लण्ड तना रहा था और मैं उसे दबा दबा कर नीचे बैठा रहा था। पर जितना दबाता था वो उतना ही फ़ुफ़कार उठता था। मैंने सिर्फ़ एक ढीली सी, छोटी सी चड्डी पहन रखी थी। मेरी इसी हालत में भाभी ने कमरे में प्रवेश किया, मैं हड़बड़ा उठा।
वो मुस्कराते हुये सीधे मेरे बिस्तर के पास आ गई और मेरे पास में बैठ गई और मेरा हाथ लण्ड से हटा दिया। उस बेचारे क्या कसूर … कड़क तो था ही, हाथ हटते ही वो तो तन्ना कर खड़ा हो गया।
”साला, मादरचोद तू तो हरामी है एक नम्बर का…” भाभी ने मुझे गालियाँ दी।
“भाभी… ये गाली क्यूँ दी मुझे…?” मैं गालियाँ सुनते ही चौंक गया।
“भोसड़ा के ! इतना कड़क, और मोटा लण्ड लिये हुये मुठ मारता है?” उसने मेरा सात इन्च लम्बा लण्ड हाथ में भर लिया।
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“भाभी ये क्या कर रही आप… !” मैंने उनक हाथ हटाने की भरकस कोशिश की।
पर भाभी के हाथों में ताकत थी। मेरा कड़क लण्ड को उन्होंने मसल डाला, फिर मेरा लण्ड छोड़ दिया और मेरी बांहों को जकड़ लिया।
मुझे लगा भाभी में बहुत ताकत है। मैंने थोड़ी सी बेचैनी दर्शाई। पर भाभी मेरे ऊपर चढ़ बैठी।
“भेन की चूत … ले भाभी की चूत … साला अकेला मुठ मार सकता है… भाभी तो साली चूतिया है … जो देखती ही रहेगी … भाभी की भोसड़ी नजर नहीं आई …?” भाभी वासना में कांप रही थी।
मेरा लण्ड मेरी ढीली चड्डी की एक साईड से निकाल लिया। अचानक भाभी ने भी अपना पेटिकोट ऊंचा कर लिया। और मेरा लण्ड अपनी चूत में लगा दिया।
“चल मादरचोद… घुसा दे अपना लण्ड… बोल मेरी चूत मारेगा ना…?” भाभी की छाती धौंकनी की तरह चलने लगी।
इतनी देर में मेरे लण्ड में मिठास भर उठी।
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मेरी घबराहट अब कुछ कम हो गई थी।
मैंने भाभी की चूंचियाँ दबाते हुये कहा,”रुको तो सही … मेरा बलात्कार करोगी क्या, भैया को मालूम होगा तो वो कितने नाराज होंगे !”
भाभी नरम होते हुए बोली,” उनके रुपयों को मैं क्या चूत में घुसेड़ूगी … हरामी साले का खड़ा ही नहीं होता है, पहले तो खूब चोदता था अब मुझे देखते ही मादरचोद करवट बदल कर सो जाता है… मेरी चूत क्या उसका बाप चोदेगा… अब ना तो वो मेरी गाण्ड मारता है और ना ही मेरी चूत मारता है… हरामी साला… मुझे देख कर चोदू का लण्ड ही खड़ा नहीं होता है !”
“भाभी इतनी गालियाँ तो मत निकालो… मैं हूँ ना आपकी चूत और गाण्ड चोदने के लिये। आओ मेरे लण्ड को चूस लो !”
भाभी एक दम सामान्य नजर आने लग गई थी अब, उनके मन की भड़ास निकल चुकी थी।
मेरा तन्नाया हुआ लण्ड देख कर वो भूखी शेरनी की तरह लपक ली। उसका चूसना ही क्या कमाल का था। मेरा लण्ड फ़ूल उठा। उसका मुख बहुत कसावट के साथ मेरे लौड़े को चूस रहा था। मेरे लण्ड को कोई लड़की पहली बार चूस रही थी। वो लण्ड को काट भी लेती थी।
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कुछ ही समय में मेरा शरीर अकड़ गया और मैंने कहा,”भाभी, मत चूसो ! मेरा माल निकलने वाला है… !”
“उगल दे मुँह में भोंसड़ी के… !”
उसका कहना भी पूरा नहीं हुआ था कि मेरा लण्ड से वीर्य निकल पड़ा।
“आह मां की लौड़ी… ये ले… आह… पी ले मेरा रस… भेन दी फ़ुद्दी… !”
मेरा वीर्य उसके मुह में भरता चला गया।