Bhai ka lund bhaaya Behan ko

दीदी की गांड के दबाव से मेरे लंड में कुछ हरकत हुई और थोड़ा सा तनाव आया । पर ज़्यादा देर बरक़रार नहीं रह सका । दीदी को अहसास हुआ तो उन्होंने और ज़्यादा दबाव बनाया पर कोई फायदा नहीं हुआ और फिर हम ऐसे ही सो गये । अगले 3-4 दिन तक यही सिलसिला चलता रहा । bhai ka lundदीदी रोज़ रात को मेरे साथ ऐसे ही सोती और अपनी गांड को मेरे लंड पर रगड़ती रहती । मेरे लंड में थोड़ी हरकत तो होती पर ज़्यादा देर तक कायम नहीं रह पाती । फिर शनिवार आया और क्यूंकि अगले दिन हमारी छुट्टी थी । bhai ka lundइसलिए हम देर तक बातें करते रहे । फिर आपस में लिपट कर सो गये । सुबह जब मेरी आँख खुली तो मुझे बहुत तेज़ पेशाब लगी थी । मैं जल्दी से बाथरूम भागा और पेशाब कर के वापस आया तो देखा दीदी पेट के बल सोयी हुई थी और उनकी टाइट गांड उनके लोअर को फाड़ने का इरादा कर के उभरी हुई पड़ी थी ।अचानक मेरे लंड ने झटका खाया और अपना आकार बढ़ाने लगा । मुझे उस वक्त दीदी की गांड के अलावा कुछ और नहीं सूझ रहा था । मैं स्नेहा दीदी को दीदी न समझ कर सिर्फ सोनू ही imagine कर रहा था । मैंने आनन फानन में अपने सारे कपडे उतार फेंके और बेड पे जाकर दीदी के ऊपर लेट गया और दीदी की गरदन , कान और गालों को चूमने लगा।दीदी मेरे वजन को महसूस कर के नींद से जग गयी और बिना किसी देरी के सारी बात समझ गयी और अपने एक हाथ से मेरे बालों को सहलाने लगी ।मेरे ऊपर वासना इस कदर हावी थी कि मैं दीदी को न सिर्फ चूम रहा था बल्कि बीच बीच में हल्का हल्का काट भी रहा था । मेरी साँसें धोंकनी की तरह चल रही थी और मेरे हर चुम्बन पर दीदी के मुंह से सिसकारियां फूट रही थी ।जैसे ही मैं उन्हें कहीं काटता तो उनके मुंह से दर्द और मस्ती भरी आह निकल जाती । bhai ka lund मैं पूरी तरह से नग्न था और दीदी ये बात समझ चुकी थी और मेरा भरपूर सहयोग कर रही थी । मैंने अपने लंड का दबाव दीदी की गांड पर बना रखा था जिससे दीदी को भी पूरा मज़ा आ रहा था और वो बीच बीच में अपनी गांड को उछाल रही थी ।उस वक्त मुझे ये ज़रा भी ख्याल नहीं था कि मेरे नीचे मेरी स्नेहा दीदी और एक लड़की है । मैं तो उन्हें लड़का ही इमेजिन कर रहा था । करीब 2 मिनट तक ऐसे ही दीदी को चूमने और रगड़ने के बाद मैंने दीदी के कान में कहा , “सोनू ! ”दीदी ने धीरे से जवाब दिया , “हम्मम.. ” bhai ka lundमैंने खुमारी में पूछा , “ पहले किसी ने तेरी ली है ? ”दीदी फुसफुसाते हुए बोली , ” नहीं यार मेरा फर्स्ट टाइम है ।”मैं उसी तरह फिर बोला , ” थोड़ा दर्द होगा झेल लेगा ? ” bhai ka lund दीदी धीमे स्वर में बोली , “ कोशिश करूँगा पर अंदर डालने से पहले कुछ चिकनाई लगा लेना ।”मैं यह सुनते ही तुरंत उठा और अपनी अलमारी से नारियल तेल की बोतल निकाल लाया , दीदी वैसे ही बिना हिले डुले पड़ी रही ।मैंने दीदी के लोअर की इलास्टिक पकड़ी और नीचे की और खींचा , दीदी ने थोड़ा सा अपनी गांड को हवा में उठा कर मुझे लोअर निकालने में मदद की ।मैंने लोअर को उनके घुटनों से थोड़ा नीचे तक सरका दिया । उन्होंने अंदर कोई पैंटी नहीं पहनी थी ।दीदी ने अपने पैरों की मदद से लोअर को शरीर से अलग कर के बेड से नीचे गिरा दिया ।फिर मैंने अपने हाथ में तेल लिया और उनकी गांड पर अच्छे से मल दिया और अपने लंड को भी तेल से नहला दिया । दीदी उसी मुद्रा में लेटी रही । मैं दीदी के ऊपर झुका और अपने लंड को उनकी गांड के छेद पर टिका कर उनके कान के पास अपना मुंह ले जाकर बोला , “सोनू ! तैयार है ? ”दीदी ने अपने दोनों हाथों से तकिये को भींच लिया और सिर्फ “ हम्म्म्म …” कहा । bhai ka lundमैंने धीरे धीरे लंड का दबाव बनाया और साथ ही दीदी की गरदन को बेतहाशा चूमने लगा ।थोड़ा सा और दबाव बनाते ही लंड की टोपी फिसल कर अंदर चली गयी और दीदी के मुंह से कराह निकल गयी आह हहहह ………..।मैंने थोड़ा सा दबाव और दिया और लंड थोड़ा सा और अंदर सरक गया और दीदी के मुंह से फिर एक दर्द भरी आह हहह निकली और उनकी आँखों से आंसू आगये ।पर वासना में डूबे हुए मेरे दिमाग को कुछ नहीं सुनाई दे रहा था । मैंने अपना काम ज़ारी रखा और धीरे धीरे लंड को आगे पीछे करने लगा ।दीदी की टाइट गांड ने मेरे लंड को बड़ी मज़बूती के साथ जकड़ रखा था । जिसकी वजह से मुझे आनंद तो बहुत आ रहा था पर थोड़ा थोड़ा दर्द भी महसूस हो रहा था । गांड की सख्ती के कारण लंड बड़ी मुश्किल से आगे पीछे हो पा रहा था ।दीदी का हाल और भी बुरा था । वो दर्द के मारे छटपटा रही थी और पूरी ताकत के साथ तकिये को अपनी मुट्ठी में भींचे हुए थी । मैं बड़ी सावधानी से लंड को आगे पीछे कर रहा था । तेल की चिकनाई के कारण आधे से ज़्यादा लंड दीदी की गांड में जा चुका था ।जब स्नेहा दीदी से दर्द बर्दाश्त नहीं हुआ तो दीदी कराहते हुए बोली ,” आह हहहह … समू बहुत दर्द हो रहा है । प्लीज ! बाहर निकाल ना यार ! ”मैंने उत्तेजना के बहाव में जवाब दिया , ” बस आज ही दर्द होगा मेरे राजा । उसके बाद तो तू रोज़ मेरा लंड मांगेगा ।”दीदी ने फिर कराहते हुए कहा , “ प्लीज यार समू , एक बार निकाल ले बाहर । फिर दोबारा डाल लेना । ”मैंने सोचा ठीक है , ये इतना बोल रहा है तो निकाल लेता हूँ और दीदी को कहा , “ ठीक है यार , पर सिर्फ थोड़ी देर के लिये । ” दीदी ने कराहते हुए कहा ,” आह… हाँ , ठीक है ।” bhai ka lundऔर मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया । पर वैसे ही दीदी की पीठ पर लेटा रहा ।लंड के बाहर आते ही दीदी की जान में जान आयी और उन्होंने एक राहत भरी सांस ली , उह हहह … ।मैं दीदी को कभी गाल पर , कभी गरदन पर चूमता चाटता रहा । करीब 1 मिनट बाद मैंने दीदी के कान में कहा , “ सोनू ! फिर से डालूं ? ”तो दीदी ने थोड़ा सा खुद को एडजस्ट किया और बोली , “ हम्म्म तू ऐसे ही लेटा रह , मैं डालता हूँ । तू बस धक्के लगाना ।”मैंने कहा ठीक है ,” तू ही डाल । ” bhai ka lundदीदी अपना सीधा हाथ अपने पेट के नीचे से पीछे लायी और मेरे लंड को पकड़ के गांड के छेद पर टिकाते हुए बोली , ” हम्म…. अब धीरे धीरे करना । ”मैंने धीरे धीरे लंड को अंदर डाला ।दीदी के मुंह से फिर दर्द भरी आवाज़ निकली ,” आहिस्ता ! आहिस्ता !”मैंने धीरे धीरे लंड को फिर आगे बढ़ाया । एक बार पहले लंड अंदर करने के बाद भी गांड उतनी ही टाइट महसूस हो रही थी ।जैसे ही आधा लंड अंदर गया , स्नेहा दीदी के मुंह से हलकी से एक चीख निकली , “ एआइइइइ आअह्ह्ह …” और उन्होंने बेडशीट को सख्ती के साथ अपनी मुट्ठी में भींच लिया । उन्हें दर्द से निजात दिलाने के लिए मैंने उन्हें पागलों की तरह चूमना चाटना शुरू कर दिया ।दीदी को थोड़ी राहत मिली और अब उनके मुंह से धीमी धीमी सिसकारियां निकलने लगी थी ।असल में जिसे गांड समझ कर मैं चोद रहा था वो दीदी की चूत थी । दीदी ने बड़ी ही चालाकी से मेरे लंड को अपने चूत के छेद पर रखा था और मैं वासना और उत्तेजना के बहाव में उनकी चूत को ही उनकी गांड समझ कर चोदे जा रहा था । क्यूंकि मैं उन्हें एक लड़का ही समझ रहा था और ये भूल गया था कि दीदी एक लड़की है और उनके पास दो छेद हैं , वो भी लगभग मिले हुए ।धीरे धीरे मैंने अपना पूरा लंड दीदी की चूत में पेल दिया और आगे पीछे करने लगा । bhai ka lundदीदी दर्द और आनंद की मिक्स feelings दे रही थी और उनकी चूत धीरे धीरे काफी गीली हो गयी थी ।जिस के कारण अब लंड आराम से अंदर बाहर हो रहा था । उनकी चूत भी उनकी गांड की तरह ही टाइट थी और मैं तो उसे गांड समझ कर ही चोद रहा था ।धीरे धीरे दीदी को दर्द का अहसास कम हुआ और वो अपनी गांड पीछे की और उछालने लगी ।दीदी भी अब पूरी मस्ती में आ चुकी थी और मेरा पूरा साथ दे रही थी ।मैंने अपने धक्के लगाने की स्पीड बढ़ा दी और दीदी ने भी अपनी गांड उछालना तेज़ कर दिया ।फिर अचानक स्नेहा दीदी ने अपने बदन को थोड़ा सा ऊपर उठाया और अपनी टीशर्ट को आधी पीठ तक ऊपर खींच लिया । फिर मेरे दोनों हाथों को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी चूचियों पर रख दिया और ज़ोर ज़ोर से अपनी चूचियों को मेरे हाथ से मसलने लगी और साथ ही अपनी गांड को तेज़ी से पीछे करने लगी । शायद दीदी झड़ने ही वाली थी और इस समय बहुत उत्तेजना में थी , पर हुआ कुछ उल्टा ।जैसे ही मुझे दीदी की चूचियों का स्पर्श हुआ , मेरे दिमाग में हलचल मच गयी । और जैसे मैं किसी सपने से जाग गया और मुझे अहसास हुआ कि असल में मैं किसी लड़की को चोद रहा हूँ ।तो मेरे लंड का तनाव खत्म होने लगा और मेरी धक्का लगाने की स्पीड कम होती गयी और फिर मैं रुक गया ।उधर दीदी की मदहोशी में खलल पड़ गया था , उनको कामतृप्ति का सुख मिलना बंद हो चुका था ।वो अपनी चूत को मेरे लंड पर ज़ोर ज़ोर से रगड़ रही थी । पर मेरा लंड ढीला पड़ता जा रहा था और कुछ ही पल बाद मेरा लंड मुरझा कर उनकी चूत से बाहर आ गया ।फिर कुछ ऐसा हुआ जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी । bhai ka lundदीदी अपना सीधा हाथ अपने पेट के नीचे से पीछे लायी और मेरे लंड को पकड़ के गांड के छेद पर टिकाते हुए बोली , ” हम्म…. अब धीरे धीरे करना । ”Sexy Bhabhi – बिपाशा भाभी का मायाजाल