भूमिका की गांड चुदी बस में

ऐसे करते करते उन्होंने बहुत गांड का मज़ा लिया।

फिर उन्होंने एकदम से मुझे थोड़ा ऊपर उठा दिया और अपना लंड लप की आवाज़ के साथ बाहर निकाल लिया.. मुझे बड़ा मज़ा आया जब वो मोटू लंड मेरी गांड के बाहर आ गया।

फिर मैंने गांड पर उंगली घुमाकर देखी तो.. हे भगवान् इतना बड़ा छेद हो गया था।

अंकल : चल रंडी इस लंड को अब चूस चूसकर चिकना कर दे।

में : नहीं.. यह तो बहुत गंदा हो गया है।

अंकल : भेन की लोड़ी नाटक मत कर. बिना चिकना किए गांड में लेगी तो दर्द ही होगा.. कुछ नहीं होगा यह तो सेक्स में नॉर्मल है।

तो में मान गयी और मैंने बहुत सारा थूक लगाकर उनका लंड चिकना कर दिया और फिर से उनकी गोद में धम्म से बैठ गयी.. लेकिन इस बार अंकल ने लंड को मेरी गांड की और तीर की तरह कर रखा था और फिर मेरे बैठते ही मेरी गांड में शर्रररर घुस गया।

फिर अंकल ने मुझे थोड़ा आगे झुका दिया और लग गये मेरी गांड का भूत उतारने में और उन्होंने झड़ने तक मेरी ऐसी गांड मारी कि मुझे मेरी नानी याद आ गयी।

फिर एक दो यात्रियों को तो हम पर शायद शक भी हो गया होगा.. लेकिन अंकल का लंड मेरी गांड में था तब तक मुझे किसी का डर नहीं था।

मुझसे अब रहा ना गया और में एक हाथ से अपनी चूत को रगड़ने लगी और कुछ ही देर में दो बार झड़ गयी।

दोस्तों गांड और चूत एक साथ मरवाने में कितना मज़ा आता होगा.. मेंने इसका अनुमान लगाया। अंकल कुछ देर में मेरी गांड में ही झड़ गये।

अंकल : भूमिका.. में तुमसे बहुत प्यार करता हूँ क्या तुम मुझसे शादी करोगी?

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में : क्या? सॉरी अंकल लगता है आप ज्यादा ही भावुक हो गये हो।

अंकल : अरे पगली आदमी चुदाई के बाद ऐसे ही हो जातें है।

में : अच्छा तो ऐसी बात है और हम लड़कियाँ सोचती है कि आप सीरीयस हो सचमुच।

फिर अंकल को मुझ पर बड़ा प्यार आया और वो मेरे बालों और बोबों के साथ खेलने लगे।

फिर एकदम से कंडेक्टर उठा और उसने कहा कि बस रुकने वाली है जिसे भी लंच करना है या फ्रेश होना है यहाँ पर हो जाए.. क्योंकि इसके बाद कोई स्टॉप नहीं है।

तो अंकल ने कहा कि चलो कपड़े ठीक करो बहुत भूख लगी है।

में : अंकल अगर में आपको अपने चूतड़ पर मसाला लगाकर दे दूँ तो कैसा लगेगा?

अंकल : अब आई ना लाईन पर.. लाईफ सफल हो जाएगी तेरी फ्राई गांड का मुरब्बा और अनगिनत डिश अंकल ने मेरी गांड पर ही मुझे गिना दी और ऐसी ही मसालेदार बातें करते हुए हम बस से नीचे उतरे और फिर इधर उधर घूमते हुए अंगड़ाई लेने लगे।

में पूरी कोशिश कर रही थी कि लंगड़ा कर या अजीब ढंग से ना चलूँ.. लेकिन अंकल ने मेरी ऐसी ठुकाई की थी कि सीधे चलना बहुत मुश्किल था।

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फिर में लेडीस के वॉशरूम पहुँची और कपड़े वगेराह ठीक किए और मुहं हाथ साफ किए वैसे तो मुझे अंकल के लंड का स्वाद पसंद था.. लेकिन फिर भी में अपने साथ टूटपेस्ट लाई थी ताकि मुहं एकदम फ्रेश कर सकूँ।

फिर में तैयार होकर जल्दी से टेबल पर पहुँची जहाँ पर अंकल मेरा इंतज़ार कर रहे थे हमने ऑर्डर किया और इतनी मस्त चुदाई से होने वाली कैलोरी की कमी को बहुत कुछ खाकर पूरा किया।

अंकल ने अपना और मैंने अपना पेमेंट किया और हम साथ जाने लगे।

फिर मैंने इधर उधर देखा तो पाया कि कई मर्दो की नज़रें हम पर टिकी हुई थी मानो कह रहे हो बेवकूफ़ लड़की इस बुड्ढे के साथ क्या कर रही है?

फिर हम दोनों बस में आ गये और दो मिंट की गोलियाँ खाई और फिर बैठकर बातें करने लगे।

अंकल ने अपने घर के बारे में बताया और अपनी फेमिली के बारे में भी।

जब वो अपनी वाईफ के बारे में बता रहे थे तो पता नहीं क्यों मुझे जलन महसूस हो रही थी और उन्होंने बताया कि कैसे वो और उनकी वाईफ सेक्स करते थे।

अंकल : भूमिका क्या तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है या था?

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में भी अब अंकल को जलन महसूस करने का मौका नहीं खोना चाहती थी।

में : हाँ है कॉलेज में और पहले भी पाँच रह चुके है।

अंकल : कोई शक नहीं तुम बहुत सुंदर हो।

अंकल : वो सब दिखते कैसे है मेरा मतलब अगर तुम मुझ जैसे ज्यादा उम्र वाले से चुद सकती हो तो लगता है वो ख़ास नहीं दिखते होंगे।

में : नहीं नहीं एक से बढकर एक हीरा था.. मतलब कि वो दिखने में बहुत अच्छे थे।

अंकल : फिर तुम्हे क्या में पसंद आया?

में : हाँ मुझे आप अच्छे लगते हो और आपके साथ मुझे बहुत अच्छा लग रहा है।

तो अंकल ने मुझे किस किया और कहा कि चल अब एक और एक्सर्साइज़ बाकी है तो में हंसने लगी।

अंकल : चुदेल साली.. हंस मत आज मुझे तेरी चूत फाड़नी है।

चल अब घोड़ी बन जा।

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में जो सीट और आगे की सीट होती है उसके बीच की जगह में घोड़ी बन गयी।

अंकल ने मेरी पेंट उतार दी और फिर पेंटी को खींचकर निकाल दिया।

अंकल ने अब मुझे घुटने पर झुकाकर मुझे नीचे कर दिया जिससे कि मेरे चूतड़ पीछे को हो गये और मेरा पेट मेरे घुटनो पर आ गया और मेरे हाथ मेरी छाती पर थे।

अंकल ने अब मेरे पैरों को अपनी जाँघ के नीचे दबा दिया जिससे कि मेरे चूतड़ अंकल के लंड पर रगड़ खाने लगे।

अंकल सीट पर सीधे तरीके से बैठे थे और में बस में कुतिया के पोज़ में और भी सिकुड गयी थी।

अंकल ने अब लंड मेरी चूत पर रगड़ा और धीरे से अंदर सरका दिया.. अंकल का लंड साईड से लेने में बड़ा अच्छा लग रहा था.. लेकिन थोड़ा दर्द हो रहा था।

थोड़ी देर बाद जब अंकल ने पिस्टन की तरह ऊपर नीचे बड़े ही सफाई से और ताल में कमर हिलाना शुरू किया तो मेरा सारा दर्द मज़े में बदल गया।

में अब अपनी गांड को कभी ऊपर नीचे हिलाकर तो कभी चूतड़ गोल गोल घुमाकर अंकल के लंड से अपनी चूत को रगड़वा रही थी।

एक बार मेरा सारा रस निकल चुका था और मेरी जांघो से होता हुआ अंकल की जांघ के साईड में बह रहा था।

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फिर अंकल ने रस अपनी उँगलियों से समेटा और जोर ज़ोर से साँस लेकर सूंघने और चाटने लगे।

फिर उन्होंने मेरा रस मुझे भी चटा दिया और में अपने गोल गोल गोरे चूतड़ हिलाकर अंकल को मज़े दे रही थी और खुद भी बहुत मजे ले रही थी।

करीब आधा घंटे ऐसा करने के बाद ही अंकल के लंड से कुछ आखरी बची बूँदे भी मेरी चूत ने चूस ली। इस बीच में बहुत बार झड़ गयी थी और बहुत थक गयी थी।

अब यह हसीन सफ़र अब ख़त्म होने वाला था।

तो मैंने अपने कपड़े ठीक किए और अंकल से उनका मोबाईल नंबर लिया और उन्हें अपना ग़लत नंबर दिया और में बस स्टॅंड पर पहुंचकर अपनी मंज़िल की और चल पड़ी।

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