Desisex – पड़ोसन की जवान बेटियाँ

जैसे जैसे वो लंड सहला रही थी, बड़ा होता जा रहा था. अब उसने अपना हाथ मेरे लोअर के अन्दर डाल दिया. मंजिल करीब आती जा रही थी लेकिन मैं किसी जल्दबाजी में नहीं था. उंगली चूत के अन्दर बाहर होने से चूत गीली हो चुकी थी. उसकी चूची छोड़ मैंने उसके होंठों पर होंठ रखे, चूसने लगा तो वो भी चूसने लगी. desisexपड़ोसन की जवान बेटियाँ – भाग १ > Hot Indian Sex Kahaniमैंने उसको अपने सीने से लगा लिया.नागिन की तरह मुझसे लिपटे लिपटे उसने मेरा लोअर नीचे खिसकाना चाहा तो मैंने अपना लोअर और टी शर्ट उतार दिये और दोनों फिर से लिपट गये.Desisex kahani – घर मालिक की बहू की चुदाईहोठों से होंठ चूसते चूसते वो अपनी चूचियां मेरी छाती से रगड़ने लगी. बेताब तो मैं भी बहुत हो रहा था लेकिन मैं उसकी बेताबी देखना चाहता था.अब उसने अपनी एक टांग मेरी टांग पर रख दी और खिसक खिसक कर अपनी चूत मेरे लंड से सटा दी.बार बार कोशिश के बाद भी वी मेरा लंड चूत के लबों से नहीं छुआ पाई तो उसने अपने हाथ से मेरा लंड पकड़ा और अपनी चूत के मुंह पर रगड़ने लगी.उसे न होठों की याद रही, न चूचियों की.अब और देर करना मुनासिब नहीं था,मैंने उसका हाथ अलग किया और अपने हाथ से उसकी चूत के दोनों लब खोलकर लंड का सुपारा रख दिया.Desisex kahani – घर मालिक की बहू की चुदाईमेरे सीने से तो लिपटी ही हुई थी, होठों में होंठ फिर आ गये और मैंने अपने हाथ से उसके चूतड़ों को सहलाना शुरू किया,सहलाते सहलाते जब उसके चूतड़ को अपनी तरफ दबाता तो लंड का सुपारा उसकी चूत पर दबाव बनाता.अब ज्यादा देर क्या करें,यह सोचते हुए मैंने बेड के बगल में रखे अपने बैग से कोल्ड क्रीम की शीशी और कॉण्डोम का पैकेट निकाल लिया.अपनी उंगलियों पर ढेर सी क्रीम लेकर अपने लंड पर और डॉली की चूत पर मल दी.डॉली को पीठ के बल लिटा दिया,उसके चूतड़ उठाकर गांड़ के नीचे एक तकिया रखा और कमरे की लाइट जला दी.Desisex kahani – घर मालिक की बहू की चुदाईलाइट जलते ही बोली- अंकल, लाइट बंद कर दीजिये प्लीज़.मैंने लंड का सुपारा चूत के मुंह पर रखते हुए कहा- काहे के अंकल? अब ये राजा बाबू आ रहा है, अपनी रानी से कहो, सम्भालो.इतना कहते कहते अपने दोनों हाथों से उसकी पतली सी नाजुक सी कमर पकड़ी और लंड को अन्दर दबाया.जीवन में पचासों लड़कियों औरतों को चोदा था लेकिन इतनी टाइट और छोटी चूत पहली बार देखी थी.जोर लगाया तो लंड का सुपारा अन्दर हो गया लेकिन डॉली की आँखें छलक आईं.मैंने कहा- बस हो गया.Desisex kahani – घर मालिक की बहू की चुदाईउसके ऊपर झुककर उसके आँसू पोंछे और फिर से चूचियां चूसने लगा.थोड़ी देर में वो तो सामान्य हो गई लेकिन मेरी हालत खराब थी कि पूरा लंड अभी बाहर था.खैर डॉली को सहलाते सहलाते, बातों में बहलाते बहलाते मैं अपना लंड धीरे धीरे अन्दर धकेलता जा रहा था.काफी देर बाद जब पूरा लंड उसकी चूत में समा गया तो मैं धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा.डॉली पूरा लंड झेल गई थी, अब मैं बिल्कुल चिन्तामुक्त था.काफी देर अन्दर बाहर करने के बाद मैंने अपना लंड बाहर निकाला, कॉण्डोम चढ़ाया और फिर से चूत के अन्दर खिसका दिया और धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा.Desisex kahani – घर मालिक की बहू की चुदाईअन्दर बाहर करते करते अब वो समय आ गया कि अब पैसेन्जर ट्रेन को राजधानी बनाने की इच्छा होने लगी.रफ्तार बढ़ी, आनन्द बढ़ा, लंड फूलकर और मोटा होने लगा, धकाधक दौड़ते दौड़ते मंजिल आ गई और लंड ने पानी छोड़ दिया.कमरे में एसी चलने के बावजूद हम दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे.टॉवल से पसीना पोंछा, फ्रिज से जूस के दो पैक निकाले, पिये और ऐसे ही नंगे नंगे लिपटकर सो गये.रात को तीन बजे पेशाब लगी तो मेरी नींद खुल गई.पेशाब करके आया, दो घूंट पानी पिया और आकर लेट गया.Desisex kahani – घर मालिक की बहू की चुदाईएसी बहुत ठंडा कर रहा था, टेम्परेचर सेट किया.डॉली गहरी नींद में सो रही थी.मैंने उसकी चूचियां सहलानी शुरू कीं तो उसकी नींद खुल गई.डॉली मेरे सीने से चिपक गई और यहां वहां चूमने लगी.मैंने अपनी दिशा बदली और अपना मुंह उसकी चूत के पास ले जाकर चूत के लबों पर जीभ फेरना शुरू किया.थोड़ी देर में ही वो कसमसाने लगी.मैंने उसका हाथ पकड़कर अपने लण्ड पर रखा तो सहलाने लगी.Desisex kahani – घर मालिक की बहू की चुदाईउसका सिर पकड़कर मैं उसका मुंह अपने लण्ड पर ले आया,वो मेरा इशारा समझ गई और लण्ड पर जीभ फेरकर चाटने लगी.चाटते चाटते उसने लण्ड चूसना शुरू कर दिया.थोड़ी देर में ही लण्ड टाइट होकर मूसल बन गया, इधर चूत भी लण्ड लेने को तैयार हो चुकी थी.मैं पीठ के बल लेट गया और उसको अपने ऊपर लिटा लिया और उसकी चूची चूसने लगा.मैं तो चूचियों से मजा ले रहा था और वो बार बार अपने चूतड़ पीछे खिसकाकर चूत को लण्ड से छुआना चाहती थी.मैंने उसकी चूचियां छोड़ीं तो थोड़ा सा पीछे खिसकी और अपनी चूत को लण्ड पर रगड़ने लगी.Desisex kahani – घर मालिक की बहू की चुदाईमैंने हाथ बढ़ाकर क्रीम की शीशी उठाई और डॉली को देते हुए कहा- ये लो, राजा रानी को लगा दो.उसने हथेली पर क्रीम लेकर लण्ड की मालिश शुरू कर दी.लण्ड टनटनाकर चूत में जाने के लिए फड़फड़ाने लगा.मैंने उसके हाथ से क्रीम की शीशी लेकर लण्ड पर क्रीम चुपड़ी, डॉली को कमर से पकड़कर उठाया और अपने लण्ड पर बैठा दिया.चूत के लबों को फैलाकर लण्ड का सुपारा रखा और डॉली को कमर से पकड़कर नीचे दबाया,सुपारा अन्दर चला गया तो मैंने उससे कहा- और नीचे दबो.वो जैसे जैसे बैठती जा रही थी लण्ड गुफा में समाता जा रहा था.जब पूरा लण्ड अन्दर हो गया तो मैंने उससे उचकने को कहा.Desisex kahani – घर मालिक की बहू की चुदाईअब वो धीरे धीरे उचकने लगी. ऊपर उठती तो आधा लण्ड चूत से बाहर निकल आता,नीचे जाती तो लण्ड का सुपारा उसकी नाभि से टकराता.जन्नत के मजे आ रहे थे.मैंने उससे कहा- कब तक पैसेन्जर ट्रेन चलाओगी, राजधानी एक्सप्रेस चलाओ.उसने धकाधक उछलना शुरू कर दिया लेकिन थोड़ी देर में ही रुक गई और बोली- बस अब मैं थक गई हूँ.मैंने कहा- अच्छा! ऐसी बात है तो उतरो और घोड़ी बन जाओ.बोली- घोड़ी बन जाऊं? मतलब?Desisex kahani – घर मालिक की बहू की चुदाईमैंने उसको कमर से पकड़कर घोड़ी बनाते हुए कहा- ऐसे.अब मैंने अपने लण्ड पर कॉण्डोम चढ़ाया और डॉली के पीछे आ गया.लण्ड का सुपारा चूत के मुंह पर रखा और अन्दर धकेला लेकिन इस पोजीशन में उसकी चूत और भी टाइट हो गई थी.जैसे तैसे लण्ड महाराज को अन्दर किया और पैसेन्जर ट्रेन चला दी.धीरे धीरे रफ्तार बढ़ने लगी. जब लण्ड अन्दर जाता तो आह आह करती जिससे जोश और बढ़ने लगा.राजधानी पूरी रफ्तार में थी, तभी डॉली बोली- सुनिये, अपने राजा से कहिये दो मिनट रुक जाये.मैं रुका, अपना लण्ड बाहर निकाला और पूछा- क्या हुआ?Desisex chudai kahani – घर मालिक की बहू की चुदाईवो सीधी हो गई और लेटते हुए बोली- थक गई.मैंने उसका चेहरा थपथपाते हुए कहा- कोई बात नहीं, तुम ऐसे ही लेटो.कहानी जारी है….