रचना और मेरी सुहागरात | Hindi Sex Stories

antarvasna, kamukta मुझे अपने दोस्तों के साथ शराब की लत लग चुकी थी मेरी शराब की आदत अब इतनी ज्यादा होने लगी थी कि घर में आए दिन इसकी वजह से झगड़े होने लगे थे मेरी पत्नी मुझसे बहुत ज्यादा परेशान रहने लगी थी और मैं हमेशा शराब के नशे में घर पर झगड़ा किया करता वह मुझे हमेशा कहती कि तुम्हारे झगड़े की वजह से हमारे बच्चों पर भी गलत असर पड़ रहा है तुम अपनी शराब की लत छोड़ क्यों नहीं देते लेकिन मैं तो जैसे सुधारना ही नहीं चाहता था और हमेशा ही मैं अनीता के साथ झगड़ा कर लिया करता। जब भी मेरा अनिता से झगड़ा होता तो मैं उस समय और भी ज्यादा शराब पीकर घर आता मेरे माता-पिता भी बहुत ज्यादा परेशान हो चुके थे और उन्होंने मुझे कई बार समझाया लेकिन मैं किसी की बात भी नहीं सुनता था जिसका परिणाम मुझे उस वक्त भुगतना पड़ा जब मेरी पत्नी की तबियत खराब हो गई।अनीता मेरा कभी भी गलत नहीं चाहती थी लेकिन शायद मैं ही उस वक्त समझ नहीं पाया कि उसे क्या चाहिए, उसकी तबीयत बहुत ज्यादा खराब रहने लगी मेरे माता पिता दोनों ही सरकारी नौकरी थे इसलिए मुझे कभी भी पैसे की कोई समस्या नहीं हुई मैं अपने माता-पिता की पेंशन से ही घर चलाता था, मैंने कभी कोई काम नही किया जिसकी वजह से मुझे उस वक्त बहुत तकलीफ हुई जब मेरी पत्नी अनीता की तबीयत खराब हो गयी, अनिता की तबीयत खराब होते ही उसकी दवाई के खर्चों में लगातार बढ़ोतरी होने लगी और उसकी दवाई और उसके इलाज में इतना ज्यादा खर्च होने लगा कि मेरी तो पूरी तरीके से कमर टूट चुकी थी मेरे माता पिता ने मुझे उस वक्त समझाया और कहा कि यदि तुम सही वक्त पर समझ जाते तो शायद अनीता की तबीयत भी खराब नहीं होती क्योंकि डॉक्टरों ने भी कहा था कि अनीता को डिप्रेशन की वजह से ही यह सब हुआ है।मुझे अपनी गलती का एहसास होने लगा और मैंने अपनी शराब की आदत छोड़ दी लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और शायद मुझे नहीं पता था कि अब आगे क्या होने वाला है मैं बहुत ही ज्यादा चिंता में था मैं जब भी अपने बच्चों को देखता तो मुझे लगता कि मैंने उन्हें कभी प्यार ही नहीं किया और यह सब कुछ मेरे शराब की लत की वजह से हुआ यदि मैं शराब की आदत को ना पालता तो शायद यह सब नहीं होता इन सब चीजों का मैं ही जिम्मेदार था क्योंकि यह सब मेरी वजह से ही हुआ था लेकिन उस वक्त मेरे माता-पिता ने मुझे कहा कि बेटा चलो अब जो होना था वह तो हो चुका है अब तुम अनीता का ध्यान रखो हमारी उम्र भी अब हो चुकी है लेकिन अनीता जैसी पत्नी शायद तुम्हें कभी मिल नहीं पाएगी, तुम्हें उसकी देखभाल करनी चाहिए। मैं अनिता की देखभाल अब घर पर ही करने लगा अनीता की तबीयत ठीक होने लगी थी और वह मेरे साथ अच्छा समय बिताने लगी, मैं अपने बच्चों को भी पूरा प्यार करने लगा और इस वजह से अनीता भी बहुत खुश हो गई लेकिन मैं जब रात को सोता तो मुझे बहुत बुरे बुरे सपने आते और हमेशा सोचता की मैंने अपनी पत्नी अनीता के साथ कितना गलत किया वह मुझे कितना ज्यादा प्यार करती थी लेकिन उसके बावजूद भी मैं उसे कभी समझ ही नहीं पाया। अनीता की तबीयत अब ठीक होने लगी थी और मैं अनिता को पूरा प्यार करने लगा था इस बात को एक वर्ष हो चुके थे और एक वर्ष बाद दोबारा से अनिता की तबीयत बिगड़ने लगी और उसकी तबीयत में अब बिल्कुल भी सुधार नहीं हो रहा था मैंने डॉक्टर को दिखाया तो डॉक्टर उसे दवाई दे रहे थे लेकिन उसकी तबीयत में कुछ भी सुधार नहीं हो रहा था वह बहुत ही ज्यादा कमजोर हो गई थी और उसकी कमजोरी इतनी ज्यादा हो गई थी कि उसके हाथ पैर भी कांप जाते लेकिन मुझे क्या पता था कुछ समय बाद ही अनीता की मृत्यु हो जाएगी, जैसे अनिता की मृत्यु हुई तो मैं पूरी तरीके से टूट गया और तब मुझे एहसास हुआ कि यह बहुत ही ज्यादा गलत हुआ है क्योंकि इसमें मेरा ही दोष है मैं अनिता कि मृत्यु के लिए अपने आप को ही दोष देता क्योंकि शायद यह सब मेरी वजह से ही हुआ था यदि मैं समय पर यह सब चीजें छोड़ देता तो शायद सब कुछ ठीक होता परंतु अब जो होना था वह तो हो ही चुका था मेरे बच्चों की उम्र भी ज्यादा नहीं है मेरे दो लड़के हैं लेकिन वह दोनों अभी इतने बड़े नहीं हैं कि उन्हें कुछ समझ हो।मेरे माता-पिता मुझे कहने लगे कि बेटा अब तुम अपने आप को इन सब चीजों के लिए दोषी मत ठहराओ और बच्चों की देखभाल करो, उस वक्त मेरे माता-पिता ने मेरा बहुत साथ दिया यदि वह लोग मेरे साथ नहीं होते तो शायद मैं पूरी तरीके से टूट चुका होता। मेरे रिश्तेदारों को भी बहुत ज्यादा दुख हुआ क्योंकि अनीता का व्यवहार सब लोगों को बहुत पसंद था और जो अनिता से एक बार मिलता था तो वह उसकी तारीफ जरूर किया करता था क्योंकि उसका नेचर बड़ा ही शांत स्वभाव और बहुत ही अच्छा था परंतु अब यह सब हो चुका था जिस वजह से मैं बहुत ही ज्यादा टेंशन में आ गया और दिन-ब-दिन मेरी चिंता बढ़ने लगी मेरी चिंता इतनी ज्यादा बड़ने लगी थी कि एक दिन रात के वक्त मुझे बहुत बुरे बुरे सपने आने लगे और मेरा मानसिक संतुलन बिगड़ने लगा मुझे भी शायद अब डॉक्टर की जरूरत पड़ने लगी थी इसलिए मैं डॉक्टर के पास गया तो डॉक्टर ने मुझे कहा कि आप बहुत ज्यादा टेंशन लेने लगे हैं और शायद इसी वजह से आप पर यह बुरा असर पड़ रहा है।मुझे भी पूरी तरीके से पता था कि अनीता की मृत्यु के बाद ही यह सब मेरे साथ हो रहा है क्योंकि यदि मैं उसके बारे में सोचता तो मुझे बहुत ही ज्यादा टेंशन हो जाती मैं अपने बच्चों को तो पूरा प्यार किया करता मैं अपने बच्चों को अपने हाथों से तैयार करके स्कूल भेजता और उन्हें कभी कभी खुद ही स्कूल छोड़ने जाया करता जब भी मैं अपने बच्चों को देखता तो मुझे अनीता की याद आ जाती वह किस प्रकार से उन लोगों की देखभाल किया करती थी, मेरे माता-पिता भी बहुत ज्यादा दुखी थे और वह मुझे हमेशा ही समझाते लेकिन उनके समझाने से अब अनीता वापस तो नहीं आने वाली थी और ना ही सब कुछ पहले जैसा सामान्य होने वाला था इसलिए उन्होंने मेरे लिए लड़की देखना शुरू कर दिया, मेरे लिए रिश्तो की कोई कमी नहीं थी क्योंकि हम लोग घर से संपन्न हैं परंतु मैं शादी करना ही नहीं चाहता था। एक दिन मां मुझे कहने लगी कि बेटा तुम्हें इन छोटे बच्चों के लिए तो शादी करनी ही पड़ेगी यदि तुम ने शादी नहीं की तो इन लोगों की देखभाल कौन करेगा, अब मेरी भी उम्र होने लगी है और हम लोग बूढ़े हो चुके हैं तुम्हें अब शादी करनी ही पड़ेगी। मेरे पास भी शायद कोई रास्ता नहीं था इसलिए मैं शादी करने के बारे में सोचने लगा परंतु मुझे जो भी लड़की मिलती वह मुझे ठीक नहीं लगी एक दिन मेरी मुलाकात रचना से हुई जब मैं रचना से मिला तो मैंने रचना को अपने बारे में सब कुछ बता दिया था रचना को मेरे मम्मी पापा अच्छे से पहचानते थे इसलिए उन्होंने रचना को भी सब कुछ समझा दिया था, रचना मुझसे शादी करने के लिए तैयार थी और उसे मेरे पिछले जीवन से कोई भी दिक्कत नहीं थी मैंने भी रचना के साथ शादी करने का निर्णय कर लिया और हम दोनों की शादी हो गई। जिस दिन हम दोनों की सुहागरात की पहली रात थी उस दिन मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा था लेकिन रचना की भी कुछ उम्मीदें थी और मैं रचना के पास बैठ गया। मैंने रचना से कहा हम दोनों के बीच मे सेक्स करना जरूरी है रचना ने कुछ नहीं कहा परंतु उसके भी अरमान थे वह सिर्फ अपनी गर्दन को हिलाते रही। मैंने जब उसके चेहरे की तरफ देखा तो मुझे लगा कि कहीं मैं उसके साथ कुछ गलत तो नहीं कर रहा।मैंने सोचा मुझे अब रचना के साथ मैं हमबिस्तर होना ही पड़ेगा, मैंने रचना के लाल होठों को चुसना शुरू किया तो मेरे होठों में भी उसके होठों की लालिमा लग गई मैंने उसके ब्लाउज के बटन को खोल दिया। वह शादी के जोड़ों में बहुत सुंदर लग रही थी, मैंने उसके कपड़े उतार दिए और उसके बदन को मैं अपने हाथों से महसूस करने लगा। मैंने जब उसके स्तनों को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू किया तो उसे भी मजा आने लगा। जब हम मचलने लगी तो वह बिल्कुल ही रह नहीं पा रही थी मैंने उसकी चूत को अपनी जीभ से चाटा तो उसकी चूत से गिला पदार्थ छुटने लगा। मैंने रचना से कहा क्या तुम मेरे लंड को अपने मुंह में लोगी। वह मना करने लगी लेकिन जब उसने मेरे लंड को अपने मुंह में ले लिया तो उसे बहुत अच्छा लग रहा था वह मेरे लंड को अपने मुंह में लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी। उसने अपने मुंह से लंड को बाहर निकाला तो मैने रचना की चूत में अपने लंड को प्रवेश करवाया, उसके मुंह से एक जोरदार चीख निकली, उस चीख के साथ वह मुझसे चिपकने लगी।उसने मेरी कमर पर नाखून के निशान भी मार दिया मेरा लंड उसकी चूत की गहराइयों में चला गया और जैसे ही उसकी चूत की गहराइयों में मेरा लंड प्रवेश हुआ तो मुझे बहुत मजा आने लगा। मैं उसे धक्के देने लगा और उसके दोनों पैरों को चौड़ा करने लगा उसकी चूत से खून भी आने लगा था। जब मैंने उसके दोनों पैरों को अपने कंधों पर रखा तो वह चिल्लाने लगी और कहने लगी सागर जी मुझे बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है। मुझे उसे छोड़ने का मन ही नहीं हो रहा था इतने समय बाद मुझे किसी को चोदने का मौका मिला था मैं भूखे शेर की तरह उस पर झपड पड़ा था। मैंने उसे बड़े ही अच्छे तरीके से चोदा जैसे ही मेरा वीर्य रचना की चूत मे गिरा तो उसे बड़ा अच्छा लगा। हम दोनों की सुहागरात बड़ी अच्छी रही उसके बाद उसने मेरे बच्चों का बहुत अच्छे से ध्यान रखा। उसने उन्हें कभी भी मां की कमी महसूस नहीं होने दी रचना ने उन्हें पूरी तरीके से अपना लिया है। मैं अनिता को अब भी नहीं भुला पाया हूं लेकिन अब रचना ही मेरे जीवन का सच है वह मेरा पूरा साथ देती है परंतु जो गलती मैंने पहले की थी वह मैं दोबारा से नहीं दोहराना चाहता।