भाभी कही कोई देख ना ले

Hindi sex story, antarvasna मुझे आज भी वह दिन याद है जब मैं रेलवे स्टेशन के किनारे सीट पर पड़ा हुआ था वहां से मुझे सुरेश काका ने उठाया था सुरेश काका ने ही मेरी परवरिश की। उन्होंने कभी मुझे यह एहसास नहीं होने दिया की मैं उनका लड़का नहीं हूं सुरेश काका और उनकी पत्नी ही मेरा परिवार है मैं चाहता था कि उन लोगों के लिए मैं कुछ करुं। मैं जब बड़ा हुआ तो मैं ज्यादा पढ़ाई नहीं कर पाया क्योंकि सुरेश काका के पास भी पढ़ाने के लिए इतने पैसे नहीं थे कि वह मुझे किसी अच्छे स्कूल में पढ़ा पाते। जितना सुरेश काका से हो सकता था उतना उन्होंने मेरे लिए किया अब मैं बड़ा हो चुका था तो मुझे अपने लिए कोई रोजगार का साधन ढूंढना था।मैंने काम की तलाश शुरू कर दी एक दिन मुझे पता चला कि कोई वकील साहब है उनके घर पर एक नौकर के लिए जगह खाली है तो मैं उनके घर उनसे मिलने चला गया। वकील साहब का नाम मनमोहन कुमार है उनकी उम्र 60 वर्ष के आसपास की रही होगी वह मुझे कहने लगे तुम्हारा क्या नाम है मैंने उन्हें बताया मेरा नाम राजू है। वह कहने लगे तुमने क्या पढ़ाई भी की है मैंने उन्हें कहा नहीं साहब मैंने ज्यादा पढ़ाई तो नहीं कि बस कक्षा आठवीं पास हूं। वह कहने लगे चलो जो हुआ छोड़ो तुमने इससे पहले किसी के घर पर काम किया था मैंने उन्हें कहा नहीं मैंने इससे पहले कहीं काम नहीं किया लेकिन यदि आप मुझे अपने घर पर काम पर रखेंगे तो आपको मैं कोई दिक्कत नहीं होने दूंगा। वह कहने लगे ठीक है कल से तुम काम पर आ जाना और अगले दिन से मैं काम पर जाने लगा मेरी तनख्वाह भी उन्होंने तय कर दी थी और मुझे वहां काम करना अच्छा लगने लगा। सब लोगों से मुझे वही प्यार और प्रेम मिलता जो कि मैं चाहता था दादा जी के साथ मेरी बड़ी जमती थी दादा जी भी बड़े अधिकारी थे मैं उनका बड़ा ख्याल रखा करता। दादा जी मुझे हमेशा कहते कि राजू बेटा तुम मेरा बहुत ख्याल रखते हो लेकिन उसके बदले वह मुझे पैसे भी दे दिया करते थे। मैं दादा जी का बड़ा ध्यान रखता था लेकिन कुछ समय बाद ही दादा जी का देहांत हो गया जब दादा जी का देहांत हुआ तो उस वक्त काफी दिनों से घर में सब लोगों ने अच्छे से खाना भी नहीं खाया। दादा जी का सब लोगों से बराबर प्यार था और वह सबको एक समान मानते थे उनका परिवार काफी बडा है उनके तीन बच्चे हैं।वकील साहब ही घर में बड़े थे तो उनके कंधों पर ही घर की सारी जिम्मेदारी थी इतने बड़े परिवार की बागडोर संभाल पाना भी कोई आसान बात नहीं थी। अब मनमोहन साहब ही घर की सारी जिम्मेदारी संभालने लगे थे मनमोहन जी की पत्नी का भी देहांत हो चुका था इसलिए उन्होंने दूसरी शादी की। उनकी पत्नी की उम्र उनसे करीब 25 वर्ष कम रही होगी उनका नाम मालती है मालती भाभी मुझे बहुत अच्छा मानती थी घर में वही थी जो मुझे समझती थी। उनकी देवरानिया तो बड़ी ही खतरनाक किस्म की थी वह हमेशा सिर्फ बातों को उधर से उधर करने का काम किया करते थे इसके अलावा और कुछ भी नहीं करती थी। मुझे इस बात की तो खुशी थी कि मुझे एक और परिवार मिल चुका है मैं कभी कबार सुरेश काका से मिलने के लिए चला जाता था। मैं जब भी उनसे मिलने जाता तो उन्हें पैसे जरूर दिया करता था वह मुझे हमेशा कहते कि बेटा तुम हम लोगों को पैसे क्यों दिया करते हो। मैं उनसे कहता काका मेरा इस दुनिया में आपके सिवा है ही कौन मैं अपने परिवार को पैसा नहीं दूंगा तो और किसको दूंगा। सुरेश काका और काकी मुझे बहुत प्यार करते हैं और वह हमेशा कहते कि राजू तुम बहुत अच्छे हो, मेरी अच्छाइयों से सब लोग बड़े प्रभावित रहते थे। मनमोहन साहब भी मुझे हमेशा कहते रहते कि राजू मुझे यह ला कर दो और वह ला कर दो उनका भी काम मेरे बिना नहीं चलता था उन्हें भी जैसे मेरी आदत सी होने लगी थी। वह हमेशा कहते रहते की राजू कभी कबार तो लगता है कि तुम्हारे बिना जैसे घर में मेरा कुछ काम ही नहीं हो पाता है मैंने कहता साहब कोई बात नहीं अब आप लोगों का परिवार भी तो मेरा ही परिवार है। यदि आपके लिए मैं थोड़े बहुत काम कर देता हूं तो उसमें मुझे कुछ बुरा नहीं लगता।मनमोहन जी के लड़के और लड़कियां दोनों ही विदेश में पढ़ाई करते हैं और उनकी पढ़ाई पूरी होने वाली थी और वह लोग घर आने वाले थे। मनमोहन जी बहुत खुश थे वह मुझे कहने लगे राजू तुम मेरे साथ एयरपोर्ट चलोगे मैंने उन्हें कहा साहब लेकिन आज कुछ जरूरी काम है क्या। वह कहने लगे हां आज जरूरी काम है आज मेरे दोनों बच्चे विदेश से लौट रहे हैं और उन्हें लेने के लिए हमें एयरपोर्ट जाना है मैंने भी मनमोहन जी के जूतों में पुलिस की वह तैयार हो चुके थे और मैं भी उनके साथ एयरपोर्ट चला गया। जब मैं उनके साथ एयरपोर्ट गया तो वहां पर हमें कुछ देर इंतजार करना पड़ा और जब उनके दोनों बच्चे आए तो मैं पहली बार ही उन दोनों से मिला था लेकिन वह दोनो मुझे पहचान गए उनका स्वभाव बिल्कुल मनमोहन साहब की तरह ही था। वह मुझे कहने लगे आप राजू होना तो मैंने उन्हें कहा हां मैं राजू हूं वह लोग मुझे पहचानते थे उन दोनों के नाम मानसी और ललित है। दोनों की उम्र में ज्यादा अंतर नहीं था उन दोनों की उम्र में 3, 4 साल का अंतर रहा होगा उन दोनों का व्यवहार बहुत ही अच्छा है। ललित और मानसी भी मुझ पर पूरी तरीके से अपना हक जताने लगे थे अब वह दोनों यहीं रह कर काम करने वाले थे। एक दिन मुझे सुरेश काका का फोन आया और वह कहने लगे तुम्हारी काकी की तबीयत बहुत खराब है क्या तुम कुछ दिनों के लिए घर आ जाओगे। मैंने उन्हें कहा बस मैं अभी आता हूं, मैंने मनमोहन जी से कहा कि साहब मुझे अपने घर जाना पड़ेगा क्योंकि मेरी काकी की तबीयत ठीक नहीं है। मैं अपनी काकी से मिलने के लिए चला गया मैं जब उन्हें मिलने गया तो उनकी तबीयत वाकई में काफी खराब थी मैंने सुरेश काका से कहा क्या आपने इन्हें अस्पताल में नहीं दिखाया।वह कहने लगे मैंने अस्पताल में तो दिखाया था लेकिन ना जाने क्यों तुम्हारी काकी की तबीयत और भी ज्यादा बिगड़ गई उसके बाद मैं इसे घर ले आया। मैंने काका के कहा आप पैसे की चिंता मत कीजिए उन्हें कहीं अच्छी जगह दिखा दीजिए। हम लोग जब उन्हें अस्पताल में ले गए तो वहां पर डॉक्टर ने काफी खर्चा बताया, सुरेश काका तो अपना सिर पकड़ कर वहीं बैठ गए और कहने लगे यह गरीबी भी ना जाने कब तक तकलीफें देती रहेगी मैंने तो क्या सोचा था और क्या हो गया। मैंने उनसे कहा आप चिंता मत कीजिए सब कुछ ठीक हो जाएगा वह कहने लगे अब तुम ही बताओ कैसे ठीक होगा पैसों का बंदोबस्त कहां से होगा। मैंने उन्हें कहा आप चिंता मत कीजिए मैं कहीं ना कहीं से पैसों का बंदोबस्त जरूर कर दूंगा मैंने जब यह बात मालती भाभी को बताई तो वह कहने लगी मैं देखती हूं कितने पैसों का मैं बन्दोबस कर पाती हूं। मालती भाभी पर मुझे पूरा भरोसा था कि वह जरूर मेरी मदद करेंगे और कुछ ही दिन में उन्होंने मेरी मदद के लिए मुझे पैसे दे दिए। काकी का इलाज हो चुका था और अब वह ठीक होने लगी थी फिर दोबारा से मैं काम पर लौट आया और सब कुछ वैसा ही चलने लगा था जैसा पहले चल रहा था। मालती भाभी मुझे बहुत अच्छा मानती थी परंतु कुछ दिनों से उनकी सेक्स की इच्छा पूरी नहीं हो पा रही थी इसलिए वह अपने कमरे में ना जाना क्या क्या करती रहती थी।मैं उन्हें चोरी छुपे देखता था एक दिन तो मैने उन्हे पूरा ही नंगा देख लिया उस दिन उनके नंगे बदन को देख कर मेरा लंड भी तन कर खड़ा हो गया। मुझे बहुत अच्छा लगा लेकिन एक दिन उन्होंने मुझे पकड़ लिया और कहां राजू तुम मुझे ऐसे क्यों देखते हो मैंने उसे कहा भाभी आज कल मुझे आपको देखकर ना जाने क्या हो जाता है। वह मुझे कहने लगी मुझे मालूम है तुम्हारी जवानी भी उफान मारने लगी होगा मुझे भी कई बार ऐसा ही लगता भाभी। भाभी ने जब मेरे लंड को अपने हाथ में लिया तो वह कहने लगी इतना बड़ा लंड देखकर मै हैरान रह गई क्या मैं इसे मुंह में ले लूं? मैंने कहा भाभी रहने दीजिए मैं आपकी बड़ी इज्जत करता हूं। भाभी मुझसे कहने लगी क्या तुम सेक्स के बाद मेरी इज्जत नहीं करोगे मैंने भाभी से कहा नहीं ऐसी कोई बात नहीं है। जब उन्होंने मेरे लंड को अपने मुंह में ले लिया तो मुझे भी बहुत अच्छा लगने लगा वह काफी देर तक मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर बाहर करती रही जिससे कि मेरे लंड से पानी निकलने लगा था। उन्होंने अपनी साड़ी को ऊपर उठाते हुए मेरी तरफ अपनी चूतड़ों को किया मैंने जब उनकी बडी चूतडो को देखा तो मैंने उनकी योनि के अंदर अपनी एक उंगली को डाला। मेरी उंगली उनकी योनि के अंदर चली गई कुछ देर बाद उनकी चूत से कुछ ज्यादा ही चिपचिपा पदार्थ बाहर की तरफ को निकलने लगा जिससे कि वह उत्तेजित होने लगी और जैसे ही मैंने अपने लंड को उनकी चूत के अंदर डाला तो वह चिल्ला उठी।वह कहने लगी राजू तुम्हारा लंड तो घोड़े के जितना लंबा है मेरी पूरी चूत के अंदर तक चला गया इतने समय बाद ऐसा लग रहा है जैसे कि मेरी चूत में कुछ जा रहा है। तुम्हारे साहब तो बूंढे हो चुके हैं और उनसे कुछ होता ही नहीं है तुम अपनी पूरी ताकत मुझ पर उतार दो। मैंने भाभी को पूरी ताकत से धक्के देने शुरू किए और काफी देर तक मैं उनकी चूत मारता रहा लेकिन जब उन्होंने मेरे लंड को एकदम कड़क कर दिया और उस पर तेल की मालिश की तो मैंने उनकी गांड में भी अपने लंड को डाल दिया। मै काफी देर तक उनकी गांड के मजे लेता रहा उस दिन तो मुझे वाकई में मजा आ गया लेकिन उसके बाद तो हम दोनों के बीच यह सब आम हो चुका था। जब भी भाभी का मन होता तो वह मुझसे अपनी चूत और गांड मरवा लिया करती थी। एक दिन तो भाभी और मैं पकड़े ही जाने वाले थे लेकिन उस दिन हम दोनों बच गए। मुझे कई बार डर भी लगता है कि कहीं हम लोग पकड़े गए तो लेकिन मालती भाभी को देखकर मैं सब भूल जाता हूं।Related Story भाभी की चुदाई देख कर मुठ मारानमस्कार दोस्तों कैसे हो आप लोग | आशा करता हूँ की ठीक ही होगे | और वैसे भी मूड ख़राब में सालो कोई सेक्सी कहांनिया नहीं पढता है क्यों भाई… ले ले आजा चूत ले लेhindi sex stories, desi kahani मेरा नाम आशीष है। मैं कॉलेज में फर्स्ट ईयर में पढ़ता हूं। मेरे पिताजी एक बिजनेसमैन है और वह काफी अच्छे बिजनेसमैन हैं। वह यह… लुधियाना वाली भाभी की तड़प भाग २अब में उनकी नाभि पर किस करता-करता उनकी पेंटी के पास आया और उनकी पेंटी उतार दी और वावववववऊऊ क्या स्मेल थी उनकी चूत की? मस्त गीली चूत में। फिर… मुम्बई में भाभी की चुदाईबात उन दिनो की है जब मैं ने १२ वीं के एक्साम दिया था मेरे भाई भाबी मुम्बई मैं रहते हैं मैं रिजल्ट निकलने तक मुम्बई चला गया मैं दिल्ली… मेरी प्यारी भाभीdesi sex kahani, antarvasna मेरा नाम प्रेम है और मैं बिलासपुर का रहने वाला हूँ | मेरी उम्र 22 साल है और मैंने हाल ही में अपना ग्रेजुएशन कम्पलीट किया…