चोदता रहूँ बस ऐसा मन था

Antarvasna, hindi sex stories: मैं ट्रेन का इंतजार कर रहा था अभी तक ट्रेन आई नहीं थी मैं प्लेटफॉर्म की सीट पर बैठा हुआ था तभी मेरे सामने आकर एक लड़की बैठी। थोड़ी देर के बाद उसने मुझसे कहा कि टाइम कितना हो रहा है तो मैंने उसे समय बताया उसके बाद वह मुझसे बातें करने लगी। उसने मुझसे हाथ मिलाते हुए कहा मेरा नाम रचना है मैंने भी उसे अपना परिचय दिया। मैंने रचना को कहा तुम्हें कहां जाना है रचना मुझे कहने लगी कि मुझे अंबाला जाना है। मुझे भी अम्बाला जाना था इसलिए हम दोनों का सफर एक साथ ही होने वाला था और यह भी एक अजीब इत्तेफाक था कि वह मेरे सामने ही बैठी हुई थी। जैसी ही रचना ट्रेन में चढ़ी तो उसने भी उसी बोगी में अपना सामान रखा और मेरे सामने वाली सीट में वह बैठ गई। मैं काफी खुश था कि चलो मेरा सफर भी अच्छे से कटेगा और मैं रचना से बातें करने लगा। मुझे पता ही नहीं चला कि कब मेरा सफर कट गया और हम लोग कब अम्बाला पहुंच गए। हम लोग जब रेलवे स्टेशन में पहुंचे तो उसके बाद मैं और रचना काफी समय तक एक दूसरे को नहीं मिले थे लेकिन एक दिन रचना मुझे एक शादी में मिली।जब वह मुझे शादी में मिली तो मैंने रचना से बात की उसी दौरान मैंने रचना का नंबर भी ले लिया था। मेरे पास अब रचना का नंबर आ चुका था और मैं उससे बातें करने लगा था मुझे बहुत ही अच्छा लगता जब भी मैं रचना से बातें किया करता हम लोगों की बातें अब हर रोज हुआ करती थी। हम दोनों एक दूसरे से फोन पर बातें किया करते हैं और हम दोनों एक दूसरे को मिला भी करते हैं। रचना से जब भी मैं मिलता तो मुझे काफी अच्छा लगता। एक दिन रचना और मैं साथ में बैठे हुए थे उस दिन हम दोनों एक रेस्टोरेंट में बैठे हुए थे मैंने कॉफी का ऑर्डर किया ही था कि तभी रचना की एक सहेली आई और वह रचना को देखकर कहने लगी कि तुमने मुझे अपने बॉयफ्रेंड से नहीं मिलवाया। रचना  मेरी तरफ देख रही थी लेकिन रचना ने कुछ भी नहीं कहा रचना ने जब उस लड़की को बताया कि यह मेरा बॉयफ्रेंड नहीं है तो उसके बाद वह भी हम लोगों के साथ बैठी रही। वह काफी देर तक हम लोगों के साथ बैठी थी और उसके बाद वह वहां से चली गई मैं चाहता था कि रचना को अब मैं अपने दिल की बात कह दूँ लेकिन मेरे अंदर अभी इतनी हिम्मत नहीं थी कि मैं रचना को अपने दिल की बात बता पाता इसलिए मैंने रचना को अपने दिल की बात नहीं बताई। उसके अगले दिन हम लोग दोबारा मिले जब अगले दिन हम दोनों की मुलाकात दोबारा से हुई तो मैंने सोचा कि क्यों ना अब मैं रचना को अपने दिल की बात बता ही दूँ।मैंने रचना को अपने दिल की बात कह दी थी तो रचना भी काफी खुश थी कहीं ना कहीं वह मुझसे प्यार करने लगी थी इसलिए उसने मेरे प्रपोज को तुरंत स्वीकार कर लिया और हम दोनों एक दूसरे के साथ अब अच्छा समय बिताने लगे। अब हम दोनों एक दूसरे को बहुत ज्यादा प्यार करने लगे थे जिस दिन भी मेरी मुलाकात रचना के साथ नहीं होती उस दिन मुझे ऐसा लगता जैसे कि मेरा दिन अधूरा रह गया हो। रचना का कॉलेज भी कंप्लीट हो चुका था उसका कॉलेज कंप्लीट होने के बाद वह नौकरी करने के लिए बेंगलुरु जाना चाहती थी। मैंने रचना को कहा कि तुम अंबाला में रहकर ही कुछ क्यो नहीं कर लेती लेकिन रचना बेंगलुरु जाना चाहती थी और उसके बाद वह बेंगलुरु चली गई। जब रचना बैंगलुरु गयी तो रचना को मैं काफी ज्यादा मिस करने लगा था। रचना के बिना मैं काफी ज्यादा अधूरा हो चुका था। दो महीने हो चुके थे उसके बाद मैंने रचना को फोन किया और कहा कि मैं तुमसे मिलना चाहता हूं तो वह मुझे कहने लगी कि मैं भी तुमसे मिलना चाहती थी परंतु हम दोनों की मुलाकात हो नहीं पाई थी। रचना ने कुछ दिनों के लिए अपने ऑफिस से छुट्टी ले ली और वह कुछ दिनों के लिए अंबाला आ गई। जब वह अम्बाला आई तो मुझे भी काफी ज्यादा अच्छा लगा इतने समय के बाद मैं रचना से मिल पा रहा था। रचना और मैंने साथ में काफी अच्छा समय बिताया, मुझे पता ही नहीं चला कि कब रचना की छुट्टियां खत्म हो गई और फिर वह वापस बेंगलुरु जाना चाहती थी।मैंने रचना को उस दिन कहा कि क्या तुम कुछ दिनों के लिए और छुट्टी नहीं ले सकती तो रचना कहने लगी कि नहीं यह संभव नहीं हो पाएगा। उसके बाद रचना बेंगलुरु चली गई मैं रचना को बहुत ज्यादा मिस कर रहा था और रचना भी मुझे काफी ज्यादा मिस कर रही थी। मुझे एक दिन रचना का फोन आया रचना ने मुझे कहा कि रोहन तुम कुछ दिनों के लिए बेंगलुरु आ जाओ। मैंने रचना को कहा कि नहीं मैं बेंगलुरु नहीं आ पाऊंगा लेकिन रचना चाहती थी कि मैं कुछ दिनों पहले बेंगलुरु चला आऊं इसलिए मैं कुछ दिनों के लिए बेंगलुरु चला गया। मैं जब बेंगलुरु गया तो वहां पर मुझे रचना मिली, रचना से मिलकर मुझे अच्छा लगा। मैं जिस होटल में रुका हुआ था वहां पर रहने का सारा अरेंजमेंट रचना ने हीं किया हुआ था और रचना के साथ समय बिताकर मुझे अच्छा लग रहा था। रचना भी काफी ज्यादा खुश थी जिस प्रकार से हम दोनों साथ में थे। मुझे बेंगलुरु में दो दिन हो चुके थे और मैं एक हफ्ते के लिए बेंगलुरु गया हुआ था मैंने रचना को कहा कि तुम भी कुछ दिनों के लिए छुट्टी ले लो तो रचना ने कहा कि ठीक है मैं दो दिनों की छुट्टी ले लेती हूं। रचना ने भी दो दिन की छुट्टी ले ली। रचना ने अब अपने ऑफिस से दो दिन की छुट्टी ले ली थी इसलिए हम दोनों एक साथ काफी अच्छा समय बिता रहे थे और हम दोनों को साथ मे अच्छा लग रहा था।मैं और रचना उस रात एक साथ रुकने वाली थे। रचना मेरी बात मान चुकी थी और हम दोनों उस दिन साथ में रूक गए। रचना को भी यह बात अच्छे से पता थी कि हम दोनों के बीच सेक्स संबंध बनने वाले हैं इसलिए जब उसने मेरे हाथों को पकड़ा तो मैंने भी तुरंत उसके होठों को चूम लिया। मैंने उसके होंठों को चूमा तो मैने उसकी गर्मी को बढ़ा दिया था। रचना को काफी ज्यादा अच्छा लगा जब मैं और वह एक दूसरे के साथ किस कर रहे थे। हम एक दूसरे का होंठो को किस कर रहे थे हम दोनों के बदन की गर्मी बढ़ती ही जा रही थी। अब हम दोनों गर्म हो चुके थे। मैंने रचना को कहा मेरी गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ चुकी है। मैंने रचना के बदन से उसके कपड़ों को उतारना शुरू किया रचना का गोरा बदन मेरे सामने था और उसके गोरे बदन को देखकर मुझे बहुत अच्छा लगने लगा। वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा है। मैं भी अब रचना की गर्मी को बढ़ा रहा था मैंने उसके स्तनों का रसपान करना शुरू किया मैं उसके स्तनों को जिस प्रकार से चूस रहा था उस से उसको मजा आ रहा था और मुझे भी बहुत ज्यादा मजा आने लगा था। अब हम दोनों एक दूसरे की गर्मी को काफी ज्यादा बढ़ा चुके थे। मैंने अपने लंड को बाहर निकाला तो रचना ने मेरे लंड को अपने हाथों में ले लिया और वह कहने लगी तुमने मेरी गर्मी को पूरी तरीके से बढ़ाकर रख दिया है। वह मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी तो मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आने लगा था और रचना को भी बड़ा मजा आने लगा था।वह पूरी तरीके से गर्म होने लगी थी और मुझे कहने लगी मेरी गर्मी को तुमने पूरी तरीके से बढ़ा दिया है। मैंने रचना की गर्मी को पूरी तरीके से बढ़ा दिया था और वह बहुत ज्यादा गरम हो गई थी। वह मुझे कहने लगी मेरी चूत में बहुत ज्यादा पानी बाहर की तरफ आने लगा है। मैंने रचना की चूत की तरफ देखा तो उसकी चूत से पानी बाहर की तरफ को टपकने लगा था मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया। मै जब ऐसा करने लगा तो मुझे बड़ा मजा आ रहा था मैंने उसकी चूत को बहुत देर तक चाटा और मुझे काफी ज्यादा मजा आ रहा था जब मैंने उसकी चूत का रसपान किया। वह पूरी तरीके से गर्म होने लगी थी वह मुझे कहने लगी मेरी गर्मी को तुमने पूरी तरीके से बढा दिया है। मैने रचना की चूत में अपने लंड को घुसा दिया था। मेरा लंड रचना की चूत में जाते ही वह जोर से चिल्लाकर बोली मेरी चूत से खून निकलने लगा है। उसकी चूत से खून निकल आया था और वह बहुत ज्यादा तड़पने लगी थी। वह मुझे कहने लगी मैं बहुत ज्यादा तड़पने लगी हूं और मुझे बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा है। वह अपने पैरों के बीच में मुझे दबाने की कोशिश करती जब वह ऐसा करती तो मैं उसे कहता मैं तुम्हें और तेजी से चोदू यह कहकर मैं उसकी इच्छा को पूरा करता। मेरे धक्कों में अब और भी ज्यादा तेजी होने लगी थी। मेरे धक्के इतने ज्यादा तेज होने लगे थे कि उसकी सिसकारियों में भी बढ़ोतरी होने लगी थी और उसकी गर्मी भी बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी। उसके शरीर की गर्मी इतनी अधिक हो चुकी थी कि वह रह नहीं पा रही थी वह मुझे कहने लगी मैं रह नहीं पा रही हूं। मैंने उसे कहा मुझसे भी रहा नहीं जा रहा है।मैंने जैसे ही उसकी योनि के अंदर अपने माल को गिराया तो वह खुश हो गई और मेरे लंड को अपने मुंह में लेने लगी। उसने मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर काफी देर तक उसका रसपान किया और मेरी इच्छा को उसने पूरा कर दिया था। जब उसने मेरी इच्छा को पूरा किया तो मुझे बड़ा मजा आया और उसे भी बहुत ज्यादा मजा आया लेकिन हम दोनों ने एक दूसरे के साथ दोबारा से शारीरिक संबंध बनाने का फैसला किया। मैंने उसकी चूतड़ों को अपनी तरफ किया उसकी बड़ी चूतडे मेरी तरफ थी और मेरा लंड रचना की योनि के अंदर जा चुका था। मेरा मोटा लंड उसकी योनि के अंदर जा चुका था और मुझे बहुत ज्यादा मजा आ रहा था जिस प्रकार से मैंने रचना की चूत का मजा लिया। मैंने उसके साथ 5 मिनट तक शारीरिक सुख का मजा लिया और उसके बाद उसकी चूत के अंदर अपने माल को गिरा कर उसकी इच्छा को पूरा किया वह बहुत ज्यादा खुश थी जिस प्रकार से मैंने उसकी चूत की गर्मी को शांत किया और रात भर हम लोगों ने चुदाई का आनंद लिया।